Lala lajpat rai kaun the || Genuine lala lajpat rai ki maut kyse hui 2024

Lala lajpat rai kaun the – लाला लाजपत राय एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने अपने जीवन की परवाह किए बिना देश की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया तथा लाला लाजपत राय को शेरे ए पंजाब के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह इतने बहादुर थे कि उन्होंने अपनी जान की बिल्कुल भी परवाह ना करके देश के आजादी के लिए अपना संपूर्ण जीवन त्याग दिया तथा देश की स्वतंत्रता में अपनी अहम भूमिका निभाई।

Lala lajpat rai kaun the

आज के समय में लाल लाजपत राय के बारे में स्कूल कॉलेज तथा अन्य परीक्षाओं में भी पढ़ाया जाता है तथा उनके माधुरी भरे किस्से बच्चों को बताए जाते हैं तथा लाला लाजपत राय ने भारत में सबसे पहले स्वदेशी बैंक पंजाब नेशनल बैंक तथा लक्ष्मी बीमा कंपनी की नींव रखी थी । Lala lajpat rai kaun the

Lala lajpat rai kaun the -लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को हुआ था तथा उनके पिताजी का नाम राधा कृष्ण था तथा उनके माता का नाम श्रीमती गुलाब देवी था तथा अगर हम लाल लाजपत राय के विवाहित जीवन की बात करें तो उनकी एक पत्नी थी जिसका नाम था राधा देवी तथा उनकी तीन संताने थी जिनका नाम अमित राय, प्यारेलाल व पार्वती था

Lala lajpat rai ka nara

Lala lajpat rai का एक प्रसिद्ध नारा था जो की देशभक्ति के प्रति था । 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफसर सदस्य को गोली से उड़ा दिया गया तथा साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लालाजी ने यह नारा दिया ” अंग्रेजों वापस जाओ ” तथा एक और लाला लाजपत राय का प्रसिद्ध नारा है सराफ रोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है जिसका मतलब होता है बलिदान की इच्छा अब हमारे दिल में है ।

Lala lajpat rai kaun the
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lala lajpat rai ki maut kyse hui

लाल लाजपत राय की मृत्यु 17 जनवरी 1928 को हुई वह एक हिंदू धर्म के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे तथा उनका पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता था तथा उन्होंने सन 1928 में एक साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन में हिस्सा लिया तथा यही प्रदर्शन उनका आखिरी प्रदर्शन बन गया इस प्रदर्शन के दौरान लाठी चार्ज हुए जिसमें लाल लाजपत राय बुरी तरह से घायल हो गए तथा इलाज के दौरान 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हो गई ।

लाल लाल जी की मौत का बदला उनकी मृत्यु के ठीक 1 महीने बाद ले लिया गया तथा आपको जानकर यह हैरानी होने वाली है कि उनका मृत्यु का बदला लेने के लिए चार जवानों ने अपनी जान गवा दी लालजी की मृत्यु के बाद सारा देश उत्तेजित हो उठा तथा उन्होंने थाना की उनकी मृत्यु का बदला लिया जाएगा तथा हमारे देश के शूरवीर चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव ने लाल जी का बदला लेने की ठान ली।

इन सभी शूरवीरों ने 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफसर सांडर्स को गोली मारकर हत्या कर दी हत्या करती तथा यह सभी शूरवीर उसे अवसर की हत्या करने के बाद पकड़े गए तथा इनको फांसी की सजा सुनाई गई तथा इन्होंने अपना जीवन लाल जी का बदला लेने के लिए समाप्त कर दिया तथा यह अमर हो गए|

lala lajpat rai ki padhai

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लालजी की पिटाई हरियाणा के रेवाड़ी में बने एक सरकारी स्कूल से हुई है तथा उनके पिता जी भी उर्दू के शिक्षक थे तथा उन्होंने अपने कॉलेज की शिक्षा लहू से की है तथा उन्होंने अपनी पढ़ाई करने के बाद लाहौर और हिसार में वकालत की तथा हिंदू अनाथ-रात आंदोलन की नींव रखी इसका मुख्य लक्ष्य था कि ब्रिटिश लोग अनाथ बच्चों को अपने साथ ना ले जा सके तथा इसके बाद लाला लाजपत राय ने वर्ष 1886 में पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी परीक्षा पास की |

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लाला लाजपत राय की 10 खास बातें

1. लाला लाजपत राय जिन्हें लोग प्यार से लालजी भी कहते हैं उनका जन्म पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुआ तथा 28 जनवरी 1865 में उन्होंने dunduki की गांव में जन्म लिया।

और लाला लाजपत राय जी की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने 1880 में राजकीय कॉलेज में प्रवेश लिया इससे पहले उन्होंने स्कूली शिक्षा अपने गांव से ही पूरी की।

कॉलेज की शिक्षा पूरी हो जाने के बाद उन्होंने आर्य समाज के आंदोलन में खूब हिस्सा लिया तथा आर्य समाज से अपना नाम जोड़ लिया तथा आर्य समाज के आंदोलन में हिस्सा लेने के बाद लाला लाजपत राय काफी ज्यादा चर्चा में आए।

2. लालजी स्वदेशी वस्तुओं के विरुद्ध तथा उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं को त्यागने का अभियान चलाया तथा अंग्रेजों के विरुद्ध उन्होंने जमकर विरोध किया तथा स्वदेशी वस्तुओं को नया अपना कर देसी वस्तुओं को अपनाने की राय दी।

3. लालजी को ब्रिटानिया हुकूमत ने रावला पिंडी में गिरफ्तार कर लिया तथा लाल जी 3 मई 1960 को गिरफ्तार हो गए तथा उसके बाद जब लालजी रिहा हुए तो उसके बाद वह बिल्कुल भी नहीं रुके और लगातार अपने जीवन में संघर्ष करते रहे तथा आजादी के लिए उन्होंने संघर्ष किया तथा आजादी में बहुत बड़ा योगदान लाल जी का रहा है।

4. जब अंग्रेजों द्वारा बंगाल का विभाजन कर दिया गया तो लाल जी ने इसके विरुद्ध जमकर विरोध किया तथा उन्होंने सुरेंद्रनाथ बनर्जी और विपिन चंद्र पाल के साथ हाथ मिला लिया वह अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए उनके साथ हाथ मिलाने से उनका काफी ज्यादा सहायता मिली अंग्रेजों के साथ लड़ने में।

5. सन 1897 और 1899 में देश में बहुत सारे हिस्सों में अकाल पड़ गया तथा भुखमरी आ गई तथा लोगों ने अपने घर छोड़कर लाहौर जाने का फैसला किया क्योंकि उनके पास अब कोई चारा नहीं बचा था अकाल के कारण काफी ज्यादा भुखमरी आ गई थी
अतः सभी लोग लहर पहुंचे तथा उनका लाल जी ने अपने घर में शरण दी तथा सबको भोजन उपलब्ध कराया इसके अलावा लालजी ने कांडला के भूकंप घटना मैं भी जमकर ऐसा लिया तथा इस भूकंप में आर्थिक तौर पर काफी ज्यादा तबाही मचाई तथा जो लोग इस भूकंप का शिकार हुए उनकी लालजी ने काफी ज्यादा मदद की तथा मदद करने के मामले में लाल की सबसे आगे रहे।

6. लालजी ने अपने जीवन में कानूनी शिक्षा पूरी की तथा कानूनी शिक्षा का पूरा होते ही उन्होंने जमकर गलत की तथा वे रोहतक और हिसार में वकालत करने लगे तथा इसमें सफलता हासिल की लालजी बचपन से ही देश प्रेमी रहे हैं।

7 . लालजी की नगर निगम में सदस्य चुनने के बाद किस्मत पलट गई तथा नगर निगम में सदस्य बनने के बाद वह संजीव बन गए तथा इसके बाद भी उन्होंने अपने जीवन में काफी ज्यादा वकालत की तथा कांग्रेस की बैठक में काफी ज्यादा दिलचस्पी रखने लगे।
और प्रत्येक बैठक में उन्होंने जमकर हिस्सा लिया और समय के साथ वह कांग्रेस पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए कांग्रेस पार्टी के लिए काम करने लगे।

8. लालजी ने अपने जीवन में बहुत सारे आंदोलन में हिस्सा लिया उनमें से एक प्रमुख आंदोलन था जो की रोलेट एक्ट के विरुद्ध था तथा यह आंदोलन गांधी जी के द्वारा चलाया गया था उन्होंने गांधी जी के चलाए गए आंदोलन में हिस्सा लिया तथा जमकर इस आंदोलन के साथ खड़े रहे तथा इसके लिए उन्हें पंजाब का शेर और पंजाब केसरी के नाम से भी पुकारा जाता है।

9. लालजी ने अपने जीवन में न्यूयॉर्क शहर में जाकर भी काम किया है तथा अमेरिका जैसे शहर में रहकर भी वह अपने देश को नहीं भूल पाए तथा न्यूयॉर्क में रहते हुए अपने देश के लिए निस्वार्थ काम किया तथा जब वह 20 फरवरी 1920 को भारत लौटे तो वह भारतवासियों के लिए एक नायक बन चुके थे तथा काफी ज्यादा भारतवासियों के बीच में प्रसिद्ध हो गए थे।

10. भारत में लालजी जैसा व्यक्ति आज तक ना तो पैदा हुआ है ना शायद आगे होने वाला है उन्होंने भारत के लिए बहुत सारे आंदोलन में हिस्सा लिया तथा अंतिम समय में वह बुरी तरह से घायल हो गए तथा 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हो गई।

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